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لاحظ
أن الأبيات
المظللة
بالأزرق = قد
تخطاها القارئ
ولم يقرأها
والكلمات
الحمراء =
استبدلها
القارئ
بكلمات من
عنده أو من
اخرين ولكن الابيات
التي يقرأها
القارئ |
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|
وليست
مكتوبة هنا
فهي ابيات
اضافها القارئ
بنفسه او في
غير موقعها
والتزمنا
باستبعادها
غير مكتوبة
للحفاظ على
أصل القصيدة
كما كتبها
سيدنا الشيخ
صالح |
رقم البيت
داخل
القصيدة كما
كتبها سيدنا
الشيخ صالح
الجعفري |
رقم
القصيدة
(طبقا لترقيم
الدكتور
وجيه السمنودي) |
|
|
|
مكان
البيت في
الكتب
المطبوعة (
طبقا لتصنيف
الاستاذ:
فتحي في طبعة
دار جوامع
الكلم
بالدراسة - في
القاهرة) |
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24 |
|
|
قال رضى
الله تعالى
عنه : |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
|
24 |
|
|
فى
مجاهدة
النفس وما
ينبغى ان
يكون عليه
المريد من
أحوال شريفة ..... |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
32 |
1 |
على
خير مبعوث
إلى خير أمة |
|
صلاة
وتسليم من
الله دائم |
الجزء 1
الصفحة 19 |
|
|
1 |
24 |
تراه
خلودا لا
عبورا لجنة |
|
أياعابرا
هذاالسبيل
إلى متى |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
2 |
24 |
وما
الظل إلا
راحل بعد
ساعة |
|
وهل
خاطب
الحسناء
يكفيه ظلها |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
3 |
24 |
وأشنعها
ضرا حجاب
القطيعة |
|
تعفف
تصبر
فالمصائب
جمة |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
4 |
24 |
فجاهد
تشاهد قبل
يوم المنية |
|
حجابك
عن حال
التجلى
قطيعة |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
5 |
24 |
فلا
تتركن يوما
سبيل
الغنيمة |
|
فموتك
فى حال
الشهود
غنيمة |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
6 |
24 |
خذلت
ففى الإجهاد
أنواع راحة |
|
فجاهد
لنفس إن تركت
جهادها |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
7 |
24 |
فإن
ثراء
الباذرين
بأثرة |
|
فما
ظفرت بالعز
نفس تكاسلت |
الجزء 1
الصفحة 90 |
|
|
8 |
24 |
فما
حصد الزراع
يوم الحراثة |
|
فشمر
لدى بذر
لتحصد فى غد |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
9 |
24 |
أتقطع
للبيدا بغير
مطية |
|
جهاد
وصبر
فالجهاد
مطية |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
10 |
24 |
وحزم
وإقدام لكل
فضيلة |
|
مطية
أهل الله جد
جلادة |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
11 |
24 |
وهل
أنت مقدام
بيوم
الكريهة |
|
فهل
أنت ذو جد وهل
أنت حازم |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
12 |
24 |
تموت
شهيدا أو
تعيش بعزة |
|
جهادك
مشكور إذا
اشتد كربها |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
13 |
24 |
تعيش
مع الأوهام
عيش البهيمة |
|
فما
مصدر
الإسعاد
راحة نائم |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
14 |
24 |
لما
مدت الأعناق
فى رتع خضرة |
|
فلو
أدركت يوما
لمدية ذابح |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
15 |
24 |
تفاجأ
أحيانا بموت
الأحبة |
|
فكيف
وقد أبصرت
للموت دائما |
الجزء 1
الصفحة 91 |
|
|
16 |
24 |
مماتك
يا هذا بساعة
فجأة |
|
وأفجع
ما تلقاه إن
كنت عاقلا |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
17 |
24 |
فأعدد
له ثوب التقى
لا الشقاوة |
|
فلا
عجب فالموت
يهجم دائما |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
18 |
24 |
امتنا
على الإيمان
ربى بطيبة |
|
فخير
ثياب المرء
ثوب قدومه |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
19 |
24 |
رأوه
بليل من أمور
الحقيقة |
|
سرى
الناس فى ليل
فهل جاءك
الذى |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
20 |
24 |
تناجى
حبيب القلب
فى طول سجدة |
|
وهل
جفت الأشباح
لين فراشها |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
21 |
24 |
أم
النفس
مازالت
بأغيار حلة |
|
وهل
كشفت
أستارها
وحجابها |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
22 |
24 |
فما
غادرت يوما
غوائل عذرة |
|
إذا
كان لبث
النفس فى لبس
غيها |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
23 |
24 |
يردون
مختالا
بأثواب زينة |
|
وحجاب
دار
العاشقين
تراهم |
الجزء 1
الصفحة 92 |
|
|
24 |
24 |
بأغلال
عصيان لدار
السعادة |
|
يدور
بدار كيف
يأتى مكبلا |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
25 |
24 |
يسير
أسيرا
بالقيود
الثقيلة |
|
أسير
الهوى كيف
الوصول
لدارهم |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
26 |
24 |
وقد
حرموا
أشباحهم طيب
هجعة |
|
إذا
جن ليل جن
أرباب دارها |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
27 |
24 |
بليل
على الأقدام
فى ذكر آية |
|
ألذ
من الشهد
اللذيذ
قيامهم |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
28 |
24 |
بصائرهم
ما كان يخفى
بنظرة |
|
تجلى
عليهم
بالشهود
فأبصرت |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
29 |
24 |
ففى
الذل إعزاز
لنفس مشوقة |
|
فهاموا
وصاموا ثم
قاموا تذللا |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
30 |
24 |
وذاق
شراب القوم
فى أنس خلوة |
|
وكيف
يطيق النوم
من كان عارفا |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
31 |
24 |
تجل
لقلب لا شهود
برؤية |
|
تجلى
تجلى قل تجلى
ولا تخف |
الجزء 1
الصفحة 93 |
|
|
32 |
24 |
حجاب
وما تبغيه
ليس بفكرة |
|
وكل
الذي تلقاه
فاعلم بأنه |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
33 |
24 |
وهل
انت موجود
بنفس وهيأة |
|
فهل
انت حي؟ لست
تلقاه يا فتي |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
34 |
24 |
فمت
لحياة لا تدع
لبقية |
|
حياتك
حيات وجودك
فتنة |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
35 |
24 |
له
الامر
والتدبير
فوق إرادة |
|
فربك
موجود وربك
ناظر |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
36 |
24 |
عظيم
فلا تظهر
توار بذلة |
|
كبير
فلا تلبس
ثياب تكبر |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
37 |
24 |
تدبر
ما يفني بنفس
حريصة |
|
حجابك
ذنب أم ظهورك
واجدا |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
38 |
24 |
وفعلك
والاشياء
أثار قدرة |
|
وما
انت إلا الظل
في عالم
الفضا |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
39 |
24 |
أأنت
مر يد أم مراد
الإرادة |
|
فمالك
يا مسكين في
الامر حائرا |
الجزء 1
الصفحة 94 |
|
|
40 |
24 |
فليس
مرادا بعد
سبق المشيئة |
|
توكل
تبتل لا تغب
عن شهوده |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
41 |
24 |
فسلم
لمن يقضي
أمور
الخليقة |
|
مرادك
مقضي وأنت
كمثله |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
42 |
24 |
كمن
عطلوا للشرع
أهل الغباوة |
|
وكن
عارفا للأمر
والنهي لا
تكن |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
43 |
24 |
فلا
تتركن أمرا
لأوهام فترة |
|
فما
الأمر إلا من
كلام إلهنا |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
44 |
24 |
ويغضب
مولانا لفعل
الإساءة |
|
رضاه
لمن قد قام
بالأمر يا
فتي |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
45 |
24 |
فعالك
للحسني وفعل
القبيحة |
|
سبيلان
في الدنيا
لدارين وصلا |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
46 |
24 |
وإن
سرت في
الأخري فدار
العقوبة |
|
فإن
سرت في
الحسني وصلت
إلي الهنا |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
47 |
24 |
وقولك
في الفحشا
أسأت بزلتي |
|
وقولك
في الحسني
قضاه لتشكرن |
الجزء 1
الصفحة 95 |
|
|
48 |
24 |
ولا
تنسب الفحشا
لرب الجلالة |
|
فهذا
هو المطلوب
إن كنت حاذقا |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
49 |
24 |
بأسبابها
تأتي الأمور
لحكمة |
|
فلا
تتركن كسب
المعالي
فإنما |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
50 |
24 |
ولا
بد من كسب
يكون بزوجة |
|
فمن
رام للأولاد
يدعو إلهه |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
51 |
24 |
ولا
بد من يوم
يسير بسفرة |
|
ومن
رام حج البيت
ينوي بقلبه |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
52 |
24 |
ويمسك
عن أكل وشرب
وقبلة |
|
ومن
رام صوم
الشهر ينوي
بليله |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
53 |
24 |
لإثبات
أسباب
الشفاء
بشربة |
|
ومن
رام أن يشفي
ففي النحل
أية |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
54 |
24 |
فمن
ضمن أسباب
خوارق عادة |
|
وفي
عرش بلقيس
أمور لمن دري |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
55 |
24 |
ولا
خالق إلا إله
الخليقة |
|
وما
من يد إلا يد
الله فوقها |
الجزء 1
الصفحة 96 |
|
|
56 |
24 |
كأصف
إظهار لأثار
نعمة |
|
سؤالك
ممن مكن الله
يا فتي |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
57 |
24 |
لنفع
البرايا في
حبوب صغيرة |
|
كأخذك
زيتا من بذور
أعدها |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
58 |
24 |
وأسبابها
والكل خلق
بحكمة |
|
وقد
خلق الله
الأمور
جميعها |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
59 |
24 |
يرق
بها قلب رقي
للحقيقة |
|
وفي
كل خلق في
الوجود
رقيقة |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
60 |
24 |
لمن
كان ذا قلب
وأذن سميعة |
|
خفاء
له هذا
الظهور
مترجم |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
61 |
24 |
فقد
كان
والأشياء
تحت المشيئة |
|
يري
كل شيء حيث لا
شيء قبله |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
62 |
24 |
بأسرار
قلب في صفاء
وصفوة |
|
أخاطب
حبي تارة
فيمدني |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
63 |
24 |
فيهدي
بقولي
للديار
القريبة |
|
فيسمعني
النشوان من
حان سكره |
الجزء 1
الصفحة 97 |
|
|
64 |
24 |
إليك
لتهدي بعد
جهل وغفلة |
|
وما
كانت
الأكوان إلا
رسائلا |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
65 |
24 |
كما
هدي الساري
بضوء
الفتيلة |
|
أما
أن تهدي إليه
بفعله |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
66 |
24 |
وأفعاله
نور لكل سرية |
|
وما
هذه الأكوان
إلا فتائل |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
67 |
24 |
فهل
أنت راء بعد
صفو وفكرة |
|
وتبصرها
بالقلب لا
بنواظر |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
68 |
24 |
وما
جاءت الأثار
إلا لحكمة |
|
بأثاره
عنه لقد صرت
مشغفا |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
69 |
24 |
لتنبيك
عن غيب بأثار
قدرة |
|
مظاهر
أقدار بدائع
مبدع |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
70 |
24 |
بأسد
الشري يشري
سرابا بقيعة |
|
ومن
لم يبع شرا
بخير فقد ثوي |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
71 |
24 |
أبو
مرة يسقي
كئوس
المرارة |
|
يذوق
من المر الذي
مر طعمه |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
72 |
24 |
ينادي
كريما قارعا
باب توبة |
|
وعند
شراب الكأس
يرجع نادما |
الجزء 1
الصفحة 98 |
|
|
73 |
24 |
وينساق
مسرورا لذوق
الحلاوة |
|
فيجلي
جليل عنه
ألام لؤمه |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
74 |
24 |
برؤية
ظمأن سرابا
بقيعة |
|
فيأتيه
شيطان رجيم
بما يري |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
75 |
24 |
تراه
وتنسي ما
تولي بحسرة |
|
فتجري
إليه النفس
تعتز بالذي |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
76 |
24 |
وصدق
يقين في ثبات
وعفة |
|
دواؤك
يا مسكين عزم
وقوة |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
77 |
24 |
وذكر
وترتيل وصوم
وصحبة |
|
وصبر
وإخلاص لربك
دائما |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
78 |
24 |
تلاوة
أذكار بجنح
الدجنة |
|
لأهل
التقي ممن
أضاءت
قلوبهم |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
79 |
24 |
علي
خير مبعوث
بخير رسالة |
|
صلاة
وتسليم من
الله دائم |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
|
80 |
24 |
بأزهرك
المعمور حصن
الوراثة |
|
وما
الجعفري
اليوم يدعوك
خالقي |
الجزء 1
الصفحة 99 |
|
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******* |
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