|
|
|
|
|
|
|
لاحظ
أن الأبيات
المظللة
بالأزرق = قد
تخطاها القارئ
ولم يقرأها
والكلمات
الحمراء =
استبدلها
القارئ
بكلمات من
عنده أو من
اخرين ولكن الابيات
التي يقرأها
القارئ |
|
|
|
|
|
|
|
وليست
مكتوبة هنا
فهي ابيات
اضافها القارئ
بنفسه او في
غير موقعها
والتزمنا
باستبعادها
غير مكتوبة
للحفاظ على
أصل القصيدة
كما كتبها
سيدنا الشيخ
صالح |
رقم البيت
داخل
القصيدة كما
كتبها سيدنا
الشيخ صالح
الجعفري |
رقم
القصيدة
(طبقا لترقيم
الدكتور
وجيه السمنودي) |
|
|
|
مكان
البيت في
الكتب
المطبوعة (
طبقا لتصنيف
الاستاذ:
فتحي في طبعة
دار جوامع
الكلم
بالدراسة - في
القاهرة) |
|
|
|
377 |
|
|
قال رضى
الله تعالى
عنه : |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
1 |
377 |
كل
القلوب
بمدحها
تترنم |
|
أنت
الحبيب لك
المحبة فى
الورى |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
2 |
377 |
فأتوا
إليك مسلمين
وأسلموا |
|
وأتيت
قومك
بالسلامة
داعيا |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
3 |
377 |
نحو
المدينة
زائرا ويسلم |
|
وبك
النجاة من
الجحيم لمن
أتى |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
4 |
377 |
دنيا
وأخرى شافعا
يترحم |
|
إذ
أنت فضل الله
بين عباده |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
5 |
377 |
يوم
القيامة
شافع تتقدم |
|
جد
الحسين لك
الشفاعة
والرضا |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
6 |
377 |
الأسد
تخشى بأسها
وتهمهم |
|
ولك
الجمال كذا
الجلال
وهيبة |
الجزء 6
الصفحة 21 |
|
|
7 |
377 |
فكأنها
فى خلدها
تتنعم |
|
قرت
عيون
الناظرين
لأحمد |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
8 |
377 |
قد
فاق بدرا فى
السماء يتمم |
|
يا
مرحبا
بالمصطفى يا
مرحبا |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
9 |
377 |
ياسعد
من نظر الهدى
يتبسم |
|
إن
جاء يمشى
فالضياء
يحيطه |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
10 |
377 |
والمسك
فاح لزائر
يتكلم |
|
البشر
يعلو وجهه
لمسلم |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
11 |
377 |
يا
أفضل الرسل
الذين
تقدموا |
|
عند
النبى يقول
يا خير الورى |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
12 |
377 |
بدر
الكمال
بهيبة تتلثم |
|
ما
خاب قوم
شاهدتك
قلوبهم |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
13 |
377 |
جاءوا
إلى ذاك
المقام
وسلموا |
|
وأتوا
إلى باب
السلام
بضحوة |
الجزء 6
الصفحة 22 |
|
|
14 |
377 |
كالشمس
يضوى للقلوب
يتمم |
|
والمسك
فاح من النبى
ونوره |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
15 |
377 |
وشهوده
صارت به
تتنعم |
|
فرحت
لديه الروح
أعظم فرحة |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
16 |
377 |
كل
القلوب ومن
هواها تسلم |
|
هذا
النعيم هو
الذى تحيا به |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
17 |
377 |
يأتيه
فضل للسلامة
يغنم |
|
ياوقفة
عند النبى
لزائر |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
18 |
377 |
يلقى
رحيلا
بالسعادة
يختم |
|
فهو
الأمان لمن
أتاه مسلما |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
19 |
377 |
تلقاه
عند مماته
يتكلم |
|
ويموت
موت
العاشقين
لأحمد |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
20 |
377 |
باب
العطاء فمن
أتى لا يحرم |
|
أبشر
بخير إن مدحت
لأحمد |
الجزء 6
الصفحة 23 |
|
|
21 |
377 |
أنظر
إليه بنظرة
تترحم |
|
الجعفرى
أتاك يا كنز
العطا |
الجزء 6
الصفحة 24 |
|
|
22 |
377 |
يزهو
بفضل منك لا
يتضرم |
|
عند
الحسين بأرض
مصر وأزهر |
الجزء 6
الصفحة 24 |
|
|
23 |
377 |
ياسعد
أهل السعد من
قد أسلموا |
|
وعليك
صلى الله يا
كنز العطا |
الجزء 6
الصفحة 24 |
|
|
24 |
377 |
يرضاهم
ربى كذاك
يسلم |
|
والآل
والصحب
الكرام
أفاضل |
الجزء 6
الصفحة 24 |
|
|
|
377 |
|
******* |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|